रेलवे स्टेशन

ठंडी हवाएं चल रही थी, रेलवे स्टेशन पर सन्नाटा था। अभी भी काठगोदाम एक्सप्रेस को आने में एक घंटे का समय शेष था। सर्दी के इस मौसम में राजू ठिठुर रहा था। राजू प्लेटफॉर्म पर घूम रहा था कि तभी हावड़ा से अमृतसर जाने वाली अमृतसर एक्सप्रेस का प्लेटफार्म नंबर दो पर आने की घोषणा हुई। राजू अपनी जेबों में हाथ डाले , कानों में हेडफोन लगाकर पैरो पर थिरक रहा था ताकि शरीर गर्म रहे और उसे ज्यादा ठंड ना लगे । तभी ट्रेन का हार्न बजता है और ट्रेन प्लेटफार्म नंबर दो पर आकर रुक जाती है । ट्रेन के रुकने पर थोड़ी चहलकदमी होती है कुछ लोग ट्रेन से उतरते हैं कुछ चढ़ते है। पांच मिनट रुकने के बाद ट्रेन हार्न बजाकर चल देती है।राजू जो कि प्लेटफार्म तीन पर था ट्रेन को जाते देख रहा था । ट्रेन के गुजरते ही राजू की नजर एक लड़की पर पड़ती है जो अपने सामान को संभालने की कोशिश कर रही थी। राजू ने थिरकना बंद कर दिया था और उसके हाथ भी अब जेबो से बाहर थे । वो लड़की जब समान में उलझी थी तभी उसकी नज़र भी राजू पर पड़ी , राजू उसकी मदद करने के लिए तेजी से पटरिया पार कर उसके पास पहुंचा । "क्या में आपकी कुछ मदद करूं??" राजू ने उस लड़की से पूछा। राजू आगे बढ़कर सामान को उठाता उससे पहले ही उस लड़की की एक ओर दोस्त वहां आती है और राजू को रोकती है। वो लड़की राजू को घूरती है और बोलती है, " कोई जरूरत नहीं है हम अपना सामान उठा सकते हैं।"
फिर वो अपने चस्मे को सही करती है और सामान को उठा कर चल देती है। फिर अपनी दोस्त से बोली"करिश्मा देख तो लिया कर घर से इतनी दूर सुनसान स्टेशन पर किसी को भी सामान को हाथ लगाने दोगी अगर वो चोर हुआ तो।"
करिश्मा उसके पीछे सामान लेकर चलती है और अंजू से बोली,"वो बस मदद ही तो कर रहा था, कितना क्यूट है नहीं,तुम्हारी बातों से उसका चेहरा देखने लायक था वैसे।" इस बात पर वो दोनो थोड़ा मुस्कुराई।  कुछ दूर बनी कुर्सियों पर वो दोनो जाकर बैठ गई। तभी करिश्मा कुछ ढूंढती है,"तूने मेरा फोन  देखा ?" करिश्मा ने पूछा।
अंजू - " ट्रेन में तो नहीं छोड़ दिया?"
राजू - " ये फोन शायद आपका है, ये वहां गिरा हुआ था।" 
करिश्मा राजू से फोन लेलेती है," आपका बहुत बहुत धन्यवाद!" वो राजू से बोलती है। 
 राजू जाने लगता है लेकिन वो मुड़ता है और अंजू की ओर देखकर बोलता है," हा यहां आपको चोर भी मिल सकते हैं संभाल के,और एक बात मै चोर नहीं हूं।"
 अंजू - " उसके लिए माफी चाहती हूं, परन्तु इतनी जल्दी आप पर भरोसा कैसे करते?"
 राजू - " आप सही है, क्या अब भरोसा हुआ?"
 अंजू - " पूरी तरह तो नहीं ।"
 अब राजू ऊपर देखते हुए इस समय को कोसता है और बोला," क्या बात है!"
 इस पर अंजू और करिश्मा हसने लगती है। राजू इस पर हैरानी दिखाते हुए और मजाकिया तरीके से बोला," ये तो घर में ही बेज्जती  हो गई ।"
 इस पर वो दोनो ओर जोर से हंसने लगी तब करिश्मा बोली," इसका मतलब तुम यही के रहने वाले हो।" तभी अंजू को घर से फोन आता है लेकिन सिग्नल कमजोर होने के कारण बात नहीं हो पाती।वो करिश्मा से फोन मांगती है उसके फोन के सिग्नल भी नहीं होते। तब वो राजू से फोन मांगती है,और वो बात करने के लिए टहलने लगती है।
 " हा, मेरा गांव यहां से कुछ किलोमीटर दूर है" राजू ने करिश्मा को उत्तर दिया।
 "तो अब कहां जा रहे हो?" करिश्मा ने पूछा।
 "पंतनगर, अभी काठगोदाम एक्सप्रेस का इंतज़ार है बस " राजू बोला।
 तभी अंजू भी वापस आ जाती है। " तुम लोग कहा जा रहे हो?" राजू ने उनसे पूछा।
" हम अपने घर जा रहे है",करिश्मा ने उत्तर दिया।
"तो तुम्हारा घर कहा है?" राजू ने लंबी सांस लेते हुए पुछा।
"देहरादून" अंजू बोली।
"वहां के लिए तो २:३० की ट्रेन है" राजू बोलता है।उसके बाद राजू फोन निकाल कर समय देखता है,उसमे एक बज चुके थे। तब उसे याद आता है अपनी ट्रेन के बारे में और फिर वो अपनी ट्रेन की स्थिति को इंटरनेट पर देखता है और ट्रेन एक घंटे से ज्यादा देरी से चल रही है। इसपर राजू थोड़ा निराश होता है और कुर्सी पर बैठ जाता हैं।  अब उसे ठंड भी लगने लगती और वो हाथो को रगड़ने लगता है। तब वो दोनो भी बैठ जाती है, १० मिनट तक सब सांत रहते हैं पूरे स्टेशन पर सन्नाटा होता है दूर तक कोई नहीं दिखता। 
"स्टेशन के बाहर चाय की दुकान है जो बेहद अच्छी चाय बनाता है" राजू बोलता है।
"काफी ठंड है , क्यों अंजू चलना चाहिए" करिश्मा   बोलती है। राजू ये सुनकर करिश्मा की ओर मुस्कुराता है। तब राजू खड़ा होकर आगे चलने लगता है।
"तूने तो चाय डेट तय कर ली अपने लिए" अंजू करिश्मा को छेड़ते हुए बोलती है।
ऐसा कुछ नहीं है" करिश्मा मुस्कुराते हुए बोली।
तीनो बाहर जाकर चाय मंगाते है।उस दुकान पर पुराने गाने चल रहे थे। जो माहौल खुशनुमा बना रहे थे। " तुम्हारा नाम क्या है?" अंजू पूछती है।
"राजू" राजू ने करिश्मा को देखते हुए बोला । कि अचानक "इशारों इशारों में" गाना बजने लगता है जिसे सुनकर अंजू छेड़ते हुए बोली," तुम्हारी स्थिति पर ही है ये गाना, हमारी करिश्मा तो गई बेचारी।"
इसपर तीनों ही हसने लगे, लेकिन राजू और करिश्मा ने एक दूसरे की आंखों में झाखना बंद नहीं किया। 
वो रात ऐसे बीत रही थी कि किसी को समय का होश ही नहीं था,चाय की चुस्कियों,पुराने गीत और हसी के ठहाकों में  तीनों ही समय को कुछ पल भूल चुके थे । तभी  देहरादून जाने वाली ट्रेन की घोषणा होती की वो प्लेटफार्म नंबर दो पर कुछ समय में आने वाली है। वो सभी ये सुनते है और प्लेटफार्म पर  पहुंचते हैं। तभी काठगोदाम एक्सप्रेस के १ नंबर प्लेटफार्म पर आने की घोषणा हो जाती है। वो तीनो अब शांत थे, राजू को अब वो ठंड का एहसास ज्यादा हो रहा था उसकी धड़कने भी तेज़ थी पर वो  शांत था। दोनों की ट्रेन प्लेटफार्म पर एक साथ आ चुकी थी।अंजू करिश्मा को बोलती है," अब जाने वाले है कुछ कहना चाहती हैं तो बात करले, नहीं तो फोन नंबर मांग ले।" इसपर करिश्मा कुछ नहीं बोलती। वो बस राजू की ओर देखती है,राजू अपने अंदर की हिममत को एकत्रित करता है और करिश्मा के पास जाता है । तभी ट्रेन का हार्न बजता है और वो दोनों ट्रेन में चढ़ने लगते है,राजू तब वो बोल ही नहीं पाता जो वो कहने आया था। करिश्मा और अंजू अपनी सीट पर पहुंचती है ,ट्रेन चलने लगती है और अंजू खिड़की से राजू को अलविदा कहते हुए हाथ हिलती है राजू जोर से चिल्लाता है,"अपना ख्याल रखना तुम दोनों।" 
राजू  निराश अपनी ट्रेन में जाकर बैठ जाता है उसकी ट्रेन भी कुछ देर में वो स्टेशन छोड़ देती है। राजू अपने दिल की बात ना कहने की वजह से उदास था। अगली सुबह वो पंतनगर पहुंचता हैतभी उसके फोन की घंटी बजती है वो फोन उठाता है," हैलो" राजू ने बोला और फिर राजू के चेहरे पर वही मुस्कान लौट आईं।

Comments

  1. Nice story Vipul...the plot is very nice... Keep writing

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  2. Climax bhut tagda tha bhai
    Keep on writing

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  3. yr... vipul.... insta p akr kr kuch... room p aa tuje advice deta hu mst.... it will be a summit of words for sure

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