काला नमक
ये बात उन दिनों की है जब मै कक्षा पांच में पढ़ता
था। उन दिनों मुझे काला नमक खाने की गन्दी लत लग चुकी थी । जब भी मैं खाली होता,मै नमक को खाने बैठ जाता। मेरे पास उन दिनों एक थैली हुआ
करती थी जिसमे मैं नमक को रखा करता था। मेरी रोज की दिनचर्या में, मै स्कूल के लिए तैयार होता और माता से थोड़ा काला नमक थैली
में डलवाता , जाते हुए दादा को
नमस्ते करता और फिर पड दादा को । अंत में अपनी पड दादी के पास कुछ देर बैठता,जब तक कि मेरा छोटा भाई नहीं आ जाता।
उसके बाद हम साथ में ही स्कूल जाते । हम प्राथमिक
स्कूल में पढ़ते थे जहां मेरे ततेरे भाई बहन भी पढ़ते थे।
वो दिन भी रोज की तरह ही शुरू हुआ। मेरे पास मेरे नमक
की थैली थी। जिसमे से हर थोड़े समय बाद एक अंगुली नमक निकलता और उसे धीरे धीरे चाटने लगता । मेरे साथ
मेरा ततेरा भाई भी इस काम में शामिल हो चुका था, हम दोनों हमेशा आधी छुट्टी में स्कूल के मैदान के एक कोने
में बैठ कर नमक खाते और बच्चो को खेलते देखते। हम दोनों उस दिन भी वही जाकर बैठ गए, अभी में थैली निकालने ही वाला था कि उस दिन दो लड़कियां
जिसमें एक मॉनिटर थी
हमारे पास आयी। उनमें से एक ने हमसे पूछा," तुम दोनों यहां बैठ कर क्या करते हो?" उसका इस तरह सवाल पूछना मुझे अच्छा नहीं लगा शायद इसका कारण
हमारे बीच हमेशा से रही प्रतियोगिता थी। इसी कारण से हमारी कभी आपस में नही बनती थी। उसके उस सवाल के जवाब में , मै खड़ा हुआ और
मैंने जेब से थैली को निकाला फिर उसमे अपनी दो उंगलियों की मदद से थोड़ा नमक
निकाला। उस नमक को दूसरे हाथ की हथेली पर रखा और थैली को जेब में वापस रख दिया। अब मैने अपनी एक टांग घुटने से हल्की
मोड़ी और तिरछा खड़ा हो गया,हथेली में रखे
नमक को अंघुठे से मसलने लगा और उसको बोला,"तम्बाकू खा रहा हूं, तू खाएगी? बड़ा मज़ा आता है, एक बार ट्राई कर के देख।" इतना कहते ही मैने वो सारा
नमक मुंह में डाल लिया और वो दोनों वहां से भाग खड़ी हुई। इस पल मै और मेरा ततेरा
भाई बहुत हंसे, हम दोनों पूरे
आधा घंटा तक इस पल में डूब चुके थे कि आने वाली मुसीबत पर ध्यान ही नहीं गया। जैसे
ही कक्षा दोबारा लगी हम भी आकर बैठ गए, लेकिन तभी देखा की वो दोनो लड़किया हमें घुर रही थी। हम कुछ
समझते उससे पहले ही प्रधानाध्यापिका कक्षा में आ पहुंची और आते ही उन्होंने हम
दोनों भाइयों को खड़ा कर दिया। अब स्पष्ट हो चुका था कि हमारी शिकायत हो चुकी है।
प्रधानाध्यापिका ने हमसे कुछ भी पूछे बिना ही हमें दो
दो छड़ी लगाई और बोली," कल तुम्हे अपने
पिताजी को बुला कर लाना है, इतनी कम उम्र में
तम्बाकू खाते हो तुमसे ये उम्मीद नहीं थी।" इसके बाद मुझे एक और छड़ी पड़ी।
तभी घबराते हुए आवाज़ निकली,"मैम में तो काला
नमक खा रहा था, ये देखो
थैली।"
मैम ने थैली को देखा , उस लड़की को बुलाया और उससे पूछा," तुम तो कह रही थी कि ये तम्बाकू खा रहा था?"
मॉनिटर - "उस टाइम इसने खुद बोला था।"
इतना सुनते ही मैम ने मेरा कान पकड़ कर पूछा,"तूने बोला था?"
मैं- "मै तो बस मज़ाक करने के लिए नाटक कर रहा
था।"
बस इतना सुनते ही मैम ने मेरे गालों पे दो जोरदार
चांटे लगा दिए और बोली ," ऐसे मज़ाक करेगा!,नाटक करेगा!," मैम चिल्लाई," किसकी योजना थी ये?" और भाई ने डर में उंगली मेरी ओर कर दी। उसके बाद बस फिर
क्या था मैम ने दो और चांटे दोनों गालों पर ज़मा दिए और चेतावनी देकर छोड़ दिया।
उस दिन उन दो लड़कियों की मेहरबानी और मैम की उस जबरदस्त और गालों पर निशान छोड़
देने वाली पिटाई के कारण आखिरकार मै अपनी काला नमक खाने की लत से आज़ाद हो पाया।
उसके बाद कभी मैंने उस थैली को नहीं रखा और कुछ महीनों तक तो काले नमक को हाथ भी
नहीं लगाया।
Haha..really nyc story. .i can relate this story with my friend vipul and class monitor vandana
ReplyDeletehaha..you can but you can't relate other one.
DeleteBadiyaaa bandhu....
ReplyDeletethankyou sir
Deletetalented vipul arya(infinity)... big bash boshhhh...... XD
ReplyDeleteThappad se achi seekh mili hai apko...
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